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आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा.की निश्रा में लगी 14 स्वप्नों की बोलियां

रतलाम, 16 सितंबर 2023। पर्वाधिराज पर्युषण में शनिवार को भगवान महावीर के जन्म का वाचन हुआ। आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा.की निश्रा में 14 स्वप्नों की बोलियां लगाई गई।
सुबह सेठ जी का बाजार स्थित आगमोद्धारक भवन में प्रवचन हुए। उसके बाद मोहन टाकीज में दोपहर में भगवान महावीर जन्मोत्सव मनाया गया। बोलियों के बाद सबने एक-दूसरे को केसरिया छापे लगाकर बधाईया दी।
इससे पूर्व आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा. ने सेठजी की बाजार स्थित आगमोद्धारक भवन में प्रवचन में शुभ और अशुभ स्वप्न को परिभाषित करते हुए कहा कि आप दिनभर में जिसे सबसे अधिक याद करते है, वह रात को स्वप्न में आता है। यदि रात को आपको शुभ स्वप्न आए और आपकी नींद खुल जाए तो फिर सोना नहीं चाहिए, उठकर प्रभु का स्मरण करना चाहिए। यदि आप सो गए और फिर कोई अशुभ स्वप्न आ गया तो वह आपके शुभ स्वप्न को नष्ट कर देगा। बूरे स्वप्न का फल न मिले उसके लिए प्रभु की आराधना करना चाहिए।
मुनिराज ने कहा कि जीवन में यदि आपके कभी कोई शुभ विचार आए तो उस काम को कर लेना, वरना यदि अशुभ विचार मन में आ गया तो वह शुभ विचार को खत्म कर देगा। मन में सदैव अच्छे भाव लाना चाहिए।
सुबह उठकर सबसे पहले प्रभु को याद करना चाहिए। आजकल लोग उठते ही मोबाइल हाथ में लेते है। उसे त्यागना चाहिए। सुबह व्यायाम भी शरीर के लिए जरूरी है, जो हम नहीं करते है, जिस कारण से रोग बढ़ गए है। भव कोई भी हो भगवान के आगे सबको झुकना पड़ता है।
मुनिराज ने संबंध के चार प्रकार दूध-नींबू जैसे, दूध-पानी जैसे, दूध-शकर जैसे और दूध-जामण जैसे संबंध पर प्रकाश डाल और कहा कि दुख आता है तो संसार असाध्य लगता है लेकिन सुख आने पर नहीं लगता। जीवन में आपके साथ कभी कुछ भी बुरा हो तो किसी को दोष मत देना, यदि दोष देना हो तो स्वयं के कर्म को दोष देना चाहिए। हमारे कर्म का प्रतिफल ही हमें मिलता है।
श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के तत्वावधान में आयोजित प्रवचन में बड़ी संख्या में श्री संघ के पदाधिकारी एवं श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।