भूमि, भाषा और भाव परिवर्तन से सफल होगा पर्यूषण महापर्व- आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा.
रतलाम, 12 सितंबर 2023। आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में पर्यूषण महापर्व की आराधना मंगलवार से शुरू हो गई। सैलाना वालों की हवेली मोहन टाकीज में आचार्य श्री ने “लव एवरीवन” विषय पर प्रवचन देते हुए कहा कि पर्यूषण महापर्व के दौरान यदि जीवन में भूमि, भाषा और भाव परिवर्तन हो गया तो यह महापर्व सफल हो जाएगा।
महापर्व के प्रथम दिन आचार्य श्री ने कहा कि घर या दुकान पर बैठकर पर्यूषण महापर्व की आराधना नहीं होगी। हमें अपने अंतरमन को टटोलना है। यदि प्रभु की आराधना के बाद भी मन में परिवर्तन नहीं आता है तो यह समझ लेना की कहीं न कहीं हमारी प्रार्थना और भक्ति में कमी रही होगी। मानव भव में सबसे बड़ी चुनोती ही मन को बदलना है। पर्यूषण पर्व परिवर्तन का पर्व है। आप कर्तव्य करते रहो, परिवर्तन अपने आप आ जाएगा।
आचार्य श्री ने कहा कि इस संसार में घर, परिवार, कार, पसंद की हर चीज मिलती है लेकिन चारित्र नहीं मिलता और यदि यह नहीं मिला तो समझों कि कुछ नहीं मिला। हमे संयम पसंद आ गया इसलिए संसार को छोड़ दिया। बच्चे के हाथ में यदि छूरी होती है तो मां उसे सेब दिखाती हैरतलाम, 12 सितंबर 2023। आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में पर्यूषण महापर्व की आराधना मंगलवार से शुरू हो गई। सैलाना वालों की हवेली मोहन टाकीज में आचार्य श्री ने “लव एवरीवन” विषय पर प्रवचन देते हुए कहा कि पर्यूषण महापर्व के दौरान यदि जीवन में भूमि, भाषा और भाव परिवर्तन हो गया तो यह महापर्व सफल हो जाएगा।
महापर्व के प्रथम दिन आचार्य श्री ने कहा कि घर या दुकान पर बैठकर पर्यूषण महापर्व की आराधना नहीं होगी। हमें अपने अंतरमन को टटोलना है। यदि प्रभु की आराधना के बाद भी मन में परिवर्तन नहीं आता है तो यह समझ लेना की कहीं न कहीं हमारी प्रार्थना और भक्ति में कमी रही होगी। मानव भव में सबसे बड़ी चुनोती ही मन को बदलना है। पर्यूषण पर्व परिवर्तन का पर्व है। आप कर्तव्य करते रहो, परिवर्तन अपने आप आ जाएगा l
आचार्य श्री ने कहा कि इस संसार में घर, परिवार, कार, पसंद की हर चीज मिलती है लेकिन चारित्र नहीं मिलता और यदि यह नहीं मिला तो समझों कि कुछ नहीं मिला। हमे संयम पसंद आ गया इसलिए संसार को छोड़ दिया। बच्चे के हाथ में यदि छूरी होती है तो मां उसे सेब दिखाती है और छूरी बच्चे के हाथ से अपने आप छूट जाती है। आप भी संसार रूपी छूरी को पकड़ कर बैठे हो, इसे छोड़ोगे तो संयम मिलेगा। चारित्र जीवन दुर्लभ होता है। इसे पाना आसान नहीं है।
आचार्य श्री ने बोर जैसे, नारियल जैसे और अंगूर जैसे इंसान को परिभाषित करते हुए कहा कि कुछ व्यक्ति दूसरे को दुखी कर स्वयं सुखी होते है। बोर जैसे लोग बाहर नरम होते है लेकिन लोगों को दुख देने में उन्हे मजा आता है। नारियल की भूमिका वाले व्यक्ति बाहर से कठोर होते है लेकिन लोगों को सुख देकर प्रसन्न होते है। जबकि अंगूर जैसे लोग बाहर और अंदर दोनों तरह से मुलायम होकर सभी को खुश रखते है। इनमें से हमारी भूमिका अंगूर जैसी होना चाहिए।
प्रवचन में श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के पदाधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।13 सितंबर को सुबह 9 बजे आचार्य श्री के प्रवचन हेल्प एवरीवन विषय पर होंगे | और छूरी बच्चे के हाथ से अपने आप छूट जाती है। आप भी संसार रूपी छूरी को पकड़ कर बैठे हो, इसे छोड़ोगे तो संयम मिलेगा। चारित्र जीवन दुर्लभ होता है। इसे पाना आसान नहीं है।
आचार्य श्री ने बोर जैसे, नारियल जैसे और अंगूर जैसे इंसान को परिभाषित करते हुए कहा कि कुछ व्यक्ति दूसरे को दुखी कर स्वयं सुखी होते है। बोर जैसे लोग बाहर नरम होते है लेकिन लोगों को दुख देने में उन्हे मजा आता है। नारियल की भूमिका वाले व्यक्ति बाहर से कठोर होते है लेकिन लोगों को सुख देकर प्रसन्न होते है। जबकि अंगूर जैसे लोग बाहर और अंदर दोनों तरह से मुलायम होकर सभी को खुश रखते है। इनमें से हमारी भूमिका अंगूर जैसी होना चाहिए।
प्रवचन में श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के पदाधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।13 सितंबर को सुबह 9 बजे आचार्य श्री के प्रवचन हेल्प एवरीवन विषय पर होंगे |