जीवन में अच्छा-बुरा, धर्म और कर्म से होता है- आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा.
रतलाम, 13 सितंबर 2023। आपके जीवन में जो कुछ भी अच्छा-बुरा हो रहा है, उसकी वजह, धर्म और कर्म है। जीवन में अच्छा धर्म के और बुरा कर्म के कारण होता है। सुख हमेशा धर्म से आएगा और पाप कर्म के कारण होता है। जैसे हमारे कर्म होते हैं, वैसा ही हमें फल मिलता है। जीवन से दुख को हटाना है तो दूसरों को सुखी बनाना सीखो। आपके दुख अपने आप मिट जाएंगे।
यह बात आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने पर्यूषण महापर्व के दूसरे दिन सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में कही। “हेल्प एवरीवन” विषय पर प्रवचन देते हुए आचार्य श्री ने कहा कि हम अपने मन के भीतर बैर की गांठ लेकर बैठे हैं। भाई-भाई से, सास-बहू से, देरानी-जेठानी से और पिता पुत्र से नाराज होकर बात करने को तैयार नहीं है। जहां देने का भाव होता है, वहां वात्सल्य होता है। जीवन में तीन प्रकार के वात्सल्य -दृष्टि वात्सल्य, स्वप्न वात्सल्य और व्यवहार वात्सल्य होना बहुत जरूरी है। आचार्य श्री ने कहा कि हमारी नजर में दृष्टि वात्सल्य होना चाहिए। हमारी नजर अमीर, गरीब न देखें सिर्फ मानवता को देखें। हम किसी को कुछ दे सके या ना दें सके, लेकिन स्वप्न वात्सल्य तो दे सकते हैं। इसके साथ हमारा व्यवहार हमेशा बेहतर होना चाहिए।
आचार्य श्री ने कहा कि हम विवाह और अन्य पारिवारिक कार्यक्रमों में तो संपन्न और भरे पेट के लोगों को तो बुलाते हैं लेकिन भूखे पेट वाले को कभी नहीं बुलाते। आप भले ही भरे पेट वाले को नहीं बुलाए लेकिन भूखे पेट वाले को हमेशा बुलाना चाहिए। प्रवचन में श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के पदाधिकारी, सदस्य एवं बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे। आचार्य श्री के 14 सितंबर को सुबह “बैर की बिदाई,प्यार से सगाई” विषय पर विशेष प्रवचन होंगे |