जीवन से हटा ग्रह, पूर्वा ग्रह और कदा ग्रह जाने पर होंगे भगवान के दर्शन- मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा
रतलाम, 8 सितंबर 2023। जीवन में यदि प्रभु के दर्शन करना हो तो तीन तरह के आग्रह- हटा ग्रह, पूर्वा ग्रह और कदा ग्रह को त्याग देना चाहिए। जब तक हमारे भीतर ये तीनों रहेंगे हम प्रभु के दर्शन नहीं कर पाएंगे। प्रभु के मार्ग पर चलने के लिए इन्हे छोड़ना ही पडे़गा। यह बात आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा. ने सेठजी की बाजार स्थित आगमोद्धारक भवन में कही।मुनिराज ने तीनों प्रकार के आग्रह को परिभाषित करते हुए कहा कि हटा ग्रह यानी वस्तु का आग्रह होता है, जैसे ये वस्तु मुझे चाहिए, ये मेरे ही पास रहना चाहिए। जब तक हम यह भाव नहीं छोड़ेंग तब तक प्रभु के मार्ग पर नहीं चल सकेंगे। आग्रह की चीज का एक न एक दिन नाश होना है। यदि पैसे की वजह से हमारे अपनों से संबंध में बिगड़ते है तो पैसा छोड़ दो लेकिन संबंध नहीं छोड़ना चाहिए। मुनिराज ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के भीतर दोष हो या नहीं हो,लेकिन हमारे मन में उसके प्रति दोष की भावना बन गई तो वह पूर्वा ग्रह कहलाता है। यदि वस्तु, शरीर, सौंदर्य बिगड़ गया तो वह सुधर जाएगा हम यह बात मानने को तैयार है ,लेकिन पूर्वा ग्रह के कारण हम सामने वाले व्यक्ति को मानने के लिए तैयार नहीं होते है। पूर्वा ग्रह एसीड जैसा है, जो सामने वाले के पहले जिस पात्र में है, पहले उसे खत्म करता है। मुनिराज ने कदा ग्रह के बारे में बताया कि विचार केंद्रीत ग्रह भी बहुत खतरनाक है। यह सूत ज्ञान के लिए ठीक नहीं है। यदि हमारे मन में किसी के प्रति कोई विचार आ गया तो हम अपने मन को स्वयं भी समझा नहीं पाते है। विचारों का माध्यम मन है, जो कि हर पल बदलता रहता है। दुख का मूल कारण पाप है, जब तक संसार में पाप है दुख आने वाला है। पाप करने का कारण भी सुख का राग होता है। इससे बचना चाहिए | प्रवचन में बड़ी संख्या में श्री संघ के पदाधिकारी एवं श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।