योग्यता किसी एक की बपौती नहीं होती-आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा

रतलाम, 10 सितंबर। कोई ये सोचता है कि मैं ही योग्य हूं, तो यह उसका अहंकार हैं। योग्यता किसी एक की बपौती नहीं होती। हर व्यक्ति योग्य बन सकता है। योग्यता के लिए किसी से भीख नहीं मांगी जाती। योग्य बनने के लिए इसकी कसौटी पर खरा उतरना पडता है। मनुष्य का योग्य बनना उसके जीवन की बहुत बडी उपलब्धि है।
यह बात परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने कही। सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में प्रवचन देते हुए उन्होंने  कहा कि महापुरूषों के अनुसार योग्यता की तीन कसौटियां है। पहली अच्छाई पर विश्वास, दूसरी सच्चाई का आभास और तीसरी बुराई से बचाव। अच्छाई पर विश्वास होता है, तो सच्चाई का आभास और बुराई से बचाव अपने आप हो जाते है। इसलिए सबकों आत्म परीक्षण करना चाहिए कि उनका अच्छाई पर विश्वास है अथवा नहीं है। यदि अच्छाई पर विश्वास की कसौटी पर खरे है, तो समझना चाहिए कि हम योग्य है।
आचार्यश्री ने कहा कि वर्तमान में लोगों को स्वयं पर विश्वास होता है, लेकिन दूसरों की अच्छाई पर नहीं होता है। वे उसे ढोंगी, पाखंडी करार देते है, जबकि जो योग्य होता है, वह विश्वास करता है।  दूसरों को अच्छा तभी कोई कह सकता है, जब वह खुद अच्छा होता है। हिन्दुस्तान में जितने धर्म, सम्प्रदाय, पंथ, परंपरा और संस्कृतियां है, उतने कहीं नहीं है। हर धर्म,सम्प्रदाय, पंथ, परंपरा और संस्कृति में कोई ना कोई अच्छाई है। इन पर विश्वास करना चाहिए।
उन्होंने आचार्यश्री की निश्रा में 12 सितंबर से पर्यूषण पर्व तप, त्याग और तपस्या के साथ मनाने का भी आव्हान किया।
उन्होंने कहा कि नेगेटिव सोच कई भवों को बर्बाद कर देती है और पाजीटिव सोच आबाद करती है। यदि कपडा, रोटी आदि सभी साफट चाहिए, तो स्वभाव भी साफट रहना चाहिए। आचार्यश्री से निर्मला पिरोदिया ने 9 तथा ज्योति पिरोदिया ने 7 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। अंकलेश्वर श्री संघ द्वारा आचार्यश्री से आगामी वर्ष के चातुर्मास की विनती की गई। संचालन हर्षित कांठेड ने किया।

Syed Shahid Meer

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